क्‍या आप जानती हैं मैटर्निटी और सैनिटरी पैड में अं

दोनों में क्‍या होता है अंतर प्रेगनेंसी के समय जब बच्‍चा पेट में होता है तो शरीर को ज्‍यादा खून की जरूरत होती है और इसलिए ब्‍लड का वॉल्‍यूम 30 से 50 फी‍सदी बढ़ जाता है। जब बच्‍चे का जन्‍म होता है तो उसके बाद अतिरिक्‍त ब्‍लड शरीर से वेजाइना के द्वारा निकलता है। इस वक्‍त ब्‍लड का बहाव बहुत तेज होता है और साधारण सैनिटरी पैड्स इस वक्‍त ब्‍लड के हैवी फ्लो को रोक नहीं बाते हैं। ऐसे में मैटर्निटी पैड्स की जरूरत होती है। यह पैड्स सैनिटरी पैड्स की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। अधिक ब्‍लीडिंग होने पर यह फ्लो को आसानी से सोख लेते हैं। बेहद आरामदायक होते हैं मैटर्निटी पैड्स प्रेगनेंसी के वक्‍त वेजाइना में स्टिचेस आते हैं। हैवी फ्लो को रोकने के लिए ऐसे में अगर साधारण सैनिटरी पैड का यूज किया जाता है तो इससे स्टिचेस में तकलीफ होने का डर रहता है। क्‍योंकि साधारण सैनिटरी पैड्स में जो मटीरियल यूज होता है वह हार्ड होता है। वहीं मैटर्निटी पैड्सस में सॉफ्ट मटीरियल यूज होता है। यह साधारण सैनिटरी नैपकिन के मुकाबले मोटे भी होते हैं और कम्‍फर्टेबल भी। कितने पैड करें यूज डिलिवरी के बाद कई महिलाओं को बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है तो कई महिलाओं को बहुत कम इसलिए शुरुआत में 2-3 मैटर्निटी पैड्स का इस्‍तेमाल होता है। मगर कुछ दिनों बाद 1 पैड से भी काम चल जाता है। डिलीवरी के बाद हर महिला को कम से कम 2 पैकेट अपने पास जरूर रखने चाहिए। और शुरुआती दिनों में कम से कम 3 बार पैड जरूर बदलना चाहिए।